नवाज शरीफ सहित पाकिस्तान के नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ली

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली का सत्र बुलाए जाने के बाद देश के नवनिर्वाचित सांसदों ने बृहस्पतिवार को शपथ ली।

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवारों को आरक्षित सीट आवंटित करने के मुद्दे पर कार्यवाहक सरकार के साथ मतभेद के कारण अल्वी के शुरुआती इनकार के बाद नयी संसद का पहला सत्र आयोजित किया गया।

पिछली संसद के निवर्तमान अध्यक्ष राजा परवेज़ अशरफ की अध्यक्षता में 16वीं संसद का पहला सत्र एक घंटे से अधिक की देरी के बाद शुरू हुआ।

इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित सांसदों द्वारा आठ फरवरी के आम चुनाव में कथित धांधली के खिलाफ नारे लगाए जाने के बीच अशरफ ने नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई।

शपथ लेने वाले नए सांसदों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नवाज शरीफ, पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ जरदारी और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी शामिल हैं।

तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ ने साधारण सांसद के रूप में शपथ ली। चुनाव में अपनी पार्टी के बहुत अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण उन्होंने कुछ दिन पहले चौथी बार प्रधानमंत्री बनने का अपना प्रयास छोड़ दिया था।

नवनिर्वाचित सांसद नेशनल असेंबली के नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे।

प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव शनिवार को होने की उम्मीद है और पीएमएल-एन तथा पीपीपी के बीच चुनाव बाद समझौते के तहत नवाज शरीफ के छोटे भाई एवं पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सदन का नया नेता चुना जाना तय है।

चुनाव में पीटीआई पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली की सर्वाधिक 93 सीट जीती हैं। पीएमएल-एन ने 75 और पीपीपी को 54 सीट पर जीत मिली थी। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के खाते में 17 सीट आई थीं।

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मरयम ने कहा कि वह उस पद पर बैठकर खुश हैं, जहां उनके पिता बैठते थे। नवाज़ शरीफ़ की राजनीतिक उत्तराधिकारी मानी जाने वाली मरयम ने कहा, ‘‘मेरे पिता ने मुझे सिखाया कि कार्यालय कैसे चलाना है।’’ उन्होंने कहा, ”आज सूबे की हर औरत एक महिला मुख्यमंत्री को देखकर गर्व महसूस कर रही है।” साथ ही मरयम ने उम्मीद जताई कि महिला नेतृत्व की परंपरा भविष्य में भी जारी रहेगी।

नवाज शरीफ के खिलाफ चुनाव लड़ रही पीटीआई समर्थित महिला प्रत्याशी आतंकवाद के मामले में आरोपित

पीएमएल-एन के प्रमुख नवाज शरीफ के खिलाफ चुनाव लड़ रही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित महिला उम्मीदवार को मंगलवार को आतंकवाद मामले में अभ्यारोपित किया गया।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अधिकारियों द्वारा आठ फरवरी को होने वाले आम चुनाव से पहले खान की पार्टी के नेताओं और समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई तेज की गई है। इसी के परिणाम स्वरूप यह कार्रवाई सामने आई है।

पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने पीटीआई का ऐतिहासिक चुनाव चिन्ह ‘बल्ला’ वापस लेने का फैसला किया था। आयोग के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था, जिसके चलते पीटीआई के उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

सेना से टकराव का सामना कर रही पीटीआई के निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जिसके चलते फिलहाल सेना की चहेती कही जा रही पीएमएल-एन के चुनाव जीतने का रास्ता साफ माना जा रहा है।

पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे शरीफ (74) लाहौर की एनए-130 सीट से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला पीटीआई समर्थित मजबूत उम्मीदवार डॉक्टर यास्मीन रशीद से है।

पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा खान को गिरफ्तार किए जाने के बाद पिछले साल नौ मई को भड़की हिंसा के दौरान थाने पर हमले के मामले में मंगलवार को यास्मीन को आतंकवाद रोधी अदालत में अभ्यारोपित किया गया।

खान की गिरफ्तारी के बाद भड़की अभूतपूर्व हिंसा के दौरान पीटीआई के कई कार्यकर्ताओं ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय और फैसलाबाद में खुफिया एजेंसी आईएसआई के भवन समेत दर्जनों सैन्य व सरकारी भवनों को आग लगा दी थी और तोड़फोड़ की थी।

इस बीच, आम चुनाव से ठीक 48 घंटे पहले पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों और निर्वाचन आयोग के कार्यालयों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों में बढ़ोतरी के कारण इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।

रविवार रात से, कराची, नुश्की और सिबी में चुनावी हिंसा में कम से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है।

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि रविवार से बलूचिस्तान के 10 जिलों में उम्मीदवारों के चुनाव कार्यालयों पर हथगोले और हथियारों से लगभग 40 हमले या विस्फोट किए गए हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, “बलूचिस्तान में सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में तुरबत, पंजगुर, ग्वादर, मस्तुंग, कलात, खुजदार, सिबी, सुरब और क्वेटा शामिल हैं।”

नवाज शरीफ को तीन बार किसी न किसी साजिश के तहत सत्ता से बेदखल किया गया: शहबाज

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने दावा किया है कि उनके भाई को किसी न किसी साजिश के तहत तीन बार सत्ता से बेदखल किया गया था।

उन्होंने दावा किया कि 1999 में ‘‘कारगिल की हार’’ के बाद भी ऐसा ही किया गया था।

नवाज (73) के लंदन में लगभग चार साल के स्व-निर्वासन के बाद 21 अक्टूबर को पाकिस्तान लौटने की उम्मीद है। नवाज चिकित्सा के लिए लंदन गये थे और नवंबर 2019 से वह वहीं रह रहे हैं।

शहबाज ने दावा किया कि सबसे बड़ी साजिश तब हुई थी, जब 1999 में उनके बड़े भाई को सत्ता से बाहर करने के लिए कारगिल पराजय को लेकर उन्हें दोषी ठहराया गया था।

सेना के पूर्व प्रमुख दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ का नाम लिए बगैर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष ने कहा कि ‘‘कारगिल घटना’’ को अंजाम दिया गया था और इसके मद्देनजर नवाज शरीफ को युद्ध रोकने के लिए अमेरिका जाना पड़ा।

शहबाज ने शुक्रवार को यहां मीडिया से कहा, ‘‘कारगिल पराजय को आसानी से तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (1999 में) पर थोप दिया गया था। यदि इस कारगिल युद्ध के परिणामस्वरूप कश्मीर पर कब्जा कर लिया जाता तो शायद इतिहास कुछ और होता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन (भारत के साथ) युद्ध समाप्त करने के लिए नवाज को अमेरिका जाना पड़ा और देश की खातिर अपनी सरकार का बलिदान देना पड़ा।’’

भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 को कारगिल की बर्फीली ऊंचाइयों पर लगभग तीन महीने के युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना पर जीत की घोषणा की थी।

कारगिल युद्ध के बाद, जनरल मुशर्रफ ने अक्टूबर, 1999 में नवाज शरीफ की चुनी हुई सरकार के खिलाफ सैन्य तख्तापलट किया और अगले नौ वर्ष तक देश पर शासन किया।

लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा चार सप्ताह की जमानत दिये जाने के बाद, नवाज शरीफ नवंबर 2019 से ‘चिकित्सा आधार’ पर लंदन में स्व-निर्वासन में हैं।

इसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।

वह विदेश में इलाज के लिए जमानत लेने से पहले अल-अजीजिया मिल्स भ्रष्टाचार मामले में यहां कोट लखपत जेल में सात साल की जेल की सजा काट रहे थे।

शहबाज ने कहा कि नवाज अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान देश में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) लेकर आये। उन्होंने कहा, ‘‘उनके खिलाफ साजिश तब शुरू हुई जब 2014 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख इमरान खान के इस्लामाबाद में धरने के कारण चीनी राष्ट्रपति का पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया गया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘और फिर 2017 में, नवाज को पनामा पेपर्स मामले में सत्ता से बाहर कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान के विकास में बाधा उत्पन्न हुई।’’

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