हरियाणा भंडारण निगम करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश में 22 नए गोदाम बनाने जा रहा है। अहम बात ये है कि अमेरिका द्वारा इजाद की गई साइलो स्टोरबिन तकनीक से ये गोदाम बनाए जाएंगे। इसके तहत अनाज कीड़ों, बारिश और गर्मी से सुरक्षित रहेगा। निगम ने इसको लेकर कुछ स्थानों पर काम भी शुरू कर दिया है। संभावना है कि अप्रैल 2022 तक इनका निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इन गोदाम की भंडारण क्षमता 5 लाख मीट्रिक टन होगी।
इस समय निगम के पास 111 गोदाम हैं और इनकी क्षमता 19.77 लाख मीट्रिक टन है। निगम की ओर से गोदामों को बनाए जाने को लेकर टेंडर जारी किए जा चुके हैं और दस स्थानों पर तो काम भी शुरू हो गया है। इसके साथ ही निगम जींद और भिवानी में डीएम ऑफिस भी बनाने जा रहा है। इस समय विभाग के पास 11 जिलों में डीएम कार्यालय हैं।
जींद और कैथल में दो-दो गोदाम बनाए जाएंगे। इसके अलावा, रोहतक, उचाना, बापौली, पानीपत, चीका, टोहाना, फतेहाबाद, यमुनानगर, सिरसा, रेवाड़ी, सोनीपत, पलवल(होडल), करनाल, हांसी, कैथल में एक-एक गोदाम बनाया जाना है। इनमें से 11 पर काम शुरू हो गया है। इनमें गेहूं, धान, बाजरा, कपास, सरसों समेत अन्य फसलों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
गोदामों के बनाए जाने में इस बात का खास ख्याल रखा जा रहा है कि गोदामों का निर्माण अनाज मंडियों के पास हो। निगम पदाधिकारियों का तर्क है कि इससे परिवहन का खर्च बचेगा और अनाज को जल्दी गोदामों तक पहुंचाया जा सकेगा। इसके अलावा ये भी प्रस्ताव तैयार किया गया है कि जो गोदाम पुराने हो गए हैं और आबादी के अंदर आ गए हैं, जहां पर वाहनों के आने जाने में परेशानी होती है, उनको शिफ्ट किया जाएगा।
हरियाणा भंडारण निगम के चेयरमैन नयनपाल रावत का कहना है कि इस समय निगम का मुनाफा बढ़कर 95 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हमारा लक्ष्य इसे 100 करोड़ के पार ले जाना है। अनाज की सुरक्षित रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2022 तक नए आधुनिक गोदाम बनकर तैयार हो जाएंगे और इन गोदामों में हैफेड, डीएफएससी समेत अन्य एजेंसियों का अनाज रखा जाएगा।